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अजय कुमार जमशेदपुर के एक्सीडेंटल सांसद थे: सरयू राय



जमशेदपुर: लाल बाबा फाउंड्री मामले में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कांग्रेस नेता अजय कुमार को अज्ञानी बताते हुए कहा है कि वह पिछले 10 साल से जमशेदपुर से गायब थे. इन्हें पता ही नहीं कि बीते 10 साल में जमशेदपुर में क्या हुआ. अब विधानसभा चुनाव आ गया है तो ये महाशय अवतरित हुए हैं. इन्हें यह भी पता नहीं कि पहले जमशेदपुर पश्चिमी और अब जमशेदपुर पूर्वी का विधायक होने के नाते मैंने क्या-क्या किया है. वैसे तो, जब डॉ. अजय कुमार जमशेदपुर के एक्सीडेंटल सांसद थे, तब भी लाल बाबा फाउंड्री की स्थिति वही थी, जो आज है. जब वह टाटा घराने की नौकरी कर रहे थे, तब भी वही स्थिति थी, जो आज है. टाटा की नौकरी करते वक्त उन्हें पूरी जानकारी थी कि टाटा स्टील ने लाल बाबा फाउंड्री को खाली कराने के लिए मुकदमा दायर किया है. उस मुकदमा में हुए आदेश के कारण जब लाल बाबा फाउंड्री के व्यवसायियों के ऊपर उनके गोदामों के ध्वस्त होने का खतरा मंडरा रहा है तो अज्ञानता में डॉ. अजय कुमार सवाल पूछ रहे हैं कि विधायक होने के नाते मैंने क्या किया है. बेहतर होता कि डॉ. अजय कुमार लाल बाबा फाउंड्री के व्यवसायियों से ही पूछ लेते कि मैंने क्या किया है.

उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए आगे कहा कि व्यवसायी कल मेरे पास प्रतिनिधिमंडल के रूप में मेरे पास आए थे. उन्होंने मुझे वो नोटिस भी दिखाई. आज दोपहर में मैं उन्हीं के बीच था. उनके बीच रह कर मैंने वकील भी तय कराया ताकि वो मुकदमा दायर कर सकें. इस संबंध में मेरी बात जमशेदपुर के डीसी, एसएसपी और टाटा स्टील के वरीय अधिकारियों से भी हुई. इस क्रम में इतना तो सुनिश्चित हो ही गया है कि लाल बाबा फाउंड्री की आधी जमीन पर कैलाश नगर एवं अन्य भाग पर जो रिहायशी मकान बने हैं, वो नहीं टूटेंगे. रही बात आधा भाग में चल रहे उद्योगों एवं व्यवसायों की तो इस बारे में भी मैंने पुलिस और प्रशासन से बात की है. मैंने उन्हें बताया है कि मुकदमा लाल बाबा फाउंड्री और टाटा स्टील के बीच का है. जिन्होंने अपना बिजनेस बढ़ाया, उन्हें टाटा स्टील ने लाल बाबा फाउंड्री में जमीन दी, बिजली और पानी दी. मैंने सड़कें बनवाईं.

टाटा स्टील बनाम लाल बाबा फाउंड्री के मुकदमे में इस जमीन पर उद्योग चलाने वाले किसी भी शख्स को मुकदमे का नोटिस नहीं मिला. उन्हें सुने बिना जो फैसला हो गया है, वह उपयुक्त नहीं है. किसी न्यायिक निर्णय पर पहुंचने के पहले व्यवसाय का संचालन करने वालों की भी सुनी जानी चाहिए. मैंने पुलिस और प्रशासन के लोगों से कहा है कि वो न्यायालय को इस बाबत सूचित कर दें कि यहां तोड़फोड़ नहीं हो. इसी आधार पर प्रासंगित न्यायालय में व्यवसायियों की तरफ से मुकमा दायर किया जा रहा है.

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