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आदिवासियों का विकास: 1000 रुपये बनाम शुद्ध पेयजल

खबर यह है कि आज दुनिया भर में “विश्व आदिवासी दिवस ” या “विश्व जनजातीय दिवस ” मनाया जा रहा है। जिसमें आदिवासियों के विकास से जुड़े लंबे चौड़े आँकड़े प्रस्तुत किए जा रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य प्रदेशों में आदिवासियों की संस्कृति की रक्षा करने की बातें हो रही हैं।

हर साल 9 अगस्त को दुनिया भर में विश्व जनजातीय दिवस मनाया जाता है जिसे 1982 में मानना शुरू किया गया था । आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षण देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन की घोषणा की थी । झारखंड सरकार भी प्रति वर्ष विश्व आदिवासी दिवस मनाती है और इस दिन सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और सरकार तथा गैर सरकारी संस्थाएं (NGOs) उनके विकास से जुड़े भारी-भरकम आँकड़े पेश करती हैं और बताती हैं कि उनके विकास के लिए कितना पैसा खर्च किया जा रहा है ।

अब बात करते हैं असली खबर की। तो कल 8 अगस्त 2024 को सोशल मीडिया साइट X पर झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री की पोस्ट पर मुख्यमंत्री मइयाँ सम्मान योजना से जुड़ी अपडेट आती है कि अब मुख्यमंत्री मइयाँ सम्मान योजना के आवेदन प्रज्ञा केंद्रों पर भी जमा किए जा सकते हैं और इसकी समय सीमा दिसंबर 2024 तक कर दी गई है । तो दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मोर्चा एक सच्ची तस्वीर वीडियो के माध्यम से पोस्ट करता है ताकि मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्य मंत्री , स्थानीय सांसद और जिलाधिकारी का ध्यान समस्या की ओर आकृष्ट किया जा सके।

तस्वीर देखिए फिर आंकड़ों की बात करते हैं :

अब आप इस वीडियो को देखकर असली मंजर तो समझ ही गए होंगे कि आदिवासियों का विकास कितना हुआ है , उनका जीवन स्तर कैसा है और उन्हें दैनिक जीवन में किन परेशानियों से दो- चार होना पड़ता है.

एक तरफ हमारी सरकार महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने का वादा कर रही है और उसके लिए महिलायें दिन दिन भर लाइन में लग कर अपना फार्म जमा करने के लिए मशक्कत कर रही हैं। दूसरी ओर महिलाओं को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करने का कार्य भी सरकार ठीक से नहीं कर पा रही। एक व्यक्ति को भोजन , पानी , आवास , चिकित्सा , शिक्षा जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है वहीं सरकार महिलाओं को चुनाव के पहले रिझाने के लिए 1000 रुपये हर महीने देने की रेवड़ियाँ बाँट रही है. माना कि 1000 रुपये बड़ी रकम है परंतु महिलाओं को सम्मान जनक जीवन देने के लिए पर्याप्त नहीं । सरकार का काम उनके अधिकारों की रक्षा करना , उनकी जरूरतें पूरी करना है। चुनावी वादे और योजनाएं लंबे समय तक काम नहीं आती।

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