सरयू राय की भाजपा पर प्रेशर पॉलिटिक्स
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर बिसात अब बिछने लगी है । सभी प्रमुख पार्टियां अपने अपने स्तर से तैयारी में जुट गई हैं । हाल के दिनों में झारखंड की राजनीति में प्रमुख घटना घटी जिसमें निर्दलीय विधायक सरयू राय बिहार के सीएम नीतीश कुमार से दो बार पटना जा कर मिले । उन्होंने नीतीश से भेंट के बाद घोषणा कर दी की उनकी पार्टी भारतीय जनतांत्रिक मोर्चा और जद यू झारखंड में मिलकर चुनाव लड़ेंगी। राजनैतिक तबके में इसे सरयू राय की भाजपा पर प्रेशर पॉलिटिक्स की तरह देखा जा रहा है.
झारखंड में जद यू का वैसे कोई खास जनाधार नहीं है और लोकसभा चुनाव में कुर्मी वोट में युवा नेता जयराम महतो ने सेंध लगा दी है । सरयू राय की पार्टी का भी अपना कोई वोट बैंक किसी भी विधानसभा में नहीं है । कुछ शहरी विधानसभा जिसमें बिहारी मतदाता है जिसमें धनबाद और बोकारो जिला शामिल है वहां उनकी पार्टी के समर्थक जरूर है ।
सरयू राय झारखंड में तीसरा मोर्चा बनाना चाह रहे है ताकि भाजपा के ऊपर प्रेशर बनाया जा सके । लोकसभा चुनाव से पहले सुगबुगाहट थी की उनकी भाजपा में वापसी हो सकती है । लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कोई रुचि नहीं दिखाई और रही सही कसर धनबाद में सरयू राय और ढुलू महतो विवाद ने भविष्य में भाजपा के दरवाजे सरयू राय के लिए बंद कर दिए ।
सरयू राय की हेमंत सोरेन से नजदीकी रही है और उन्हें आशा है कि पिछली बार की ही तरह इस बार भी जेएमएम उनका अपने विधानसभा चुनाव में समर्थन करेगी । इस बार भाजपा अपने गढ़ जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा को हर हाल में जीतना चाहेगी । पिछली बार मुख्यमंत्री रहते रघुवर दास यहां से सरयू राय से चुनाव हार गए थे ।
सरयू राय इस चुनाव में एनडीए के इर्द गिर्द ही अपना आशियाना बनाना चाह रहे है ताकि भविष्य में अगर सम्भावना हो तो एनडीए के साथ जा सके । वैसे नीतीश के साथ सरयू राय के मिलकर चुनाव लड़ने पर भाजपा की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है ।
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