झारखंड के पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा सीट पर होगा घमासान
झारखंड में विधानसभा चुनाव अक्टूबर तक होने की संभावना है । सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए है । लेकिन इस बार भी जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा राज्य की सबसे हॉट सीट बनने जा रही है । पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय ने राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराकर राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया था ।
लेकिन इस बार इस सीट पर स्तिथि विपरीत है । रघुवर दास उड़ीसा के राजपाल बन चुके है और सक्रिय राजनीति से अब दूर है । वर्तमान विधायक सरयू राय ने इस बार भी जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है । पूर्व में यह सीट भाजपा का गढ़ रहा है और स्वयं रघुवर दास इस सीट पर 1995 से लेकर 2019 तक विधायक रह चुके है ।
अब देखना यह है की इस सबसे चर्चित सीट पर भाजपा किसको अपना उम्मीदवार बनाती है और झारखंड के पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा सीट पर सरयू का घमासान युद्ध किससे होगा। भाजपा से भी कई दावेदार चुनावी मैदान में है । इनमें पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार, शिवशंकर सिंह, रामबाबू तिवारी, अभय सिंह आदि है । पूर्व भाजपा नेता अमरप्रीत सिंह काले भी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते है । अभी वे भाजपा से निष्कासित है । एक और सबसे चौकाने वाला नाम महिला प्रत्याशी का भी है जिसकी लॉबिंग भी मजबूत मानी जा रही है ।
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद डॉक्टर अजय कुमार भी हाल के दिनों में जनता के बीच सक्रिय हुए हैं । ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि वे भी चुनाव लड़ सकते हैं । जेएमएम और कांग्रेस का गठबंधन है और जमशेदपुर शहरी क्षेत्र में जेएमएम का वोट बैंक मजबूत नहीं होने के कारण यह सीट कांग्रेस को मिलती रही है।
वर्तमान निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर राज्य का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। आज सरयू राय ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन से भी मुलाकात की है। ऐसे में यह संभावना भी हो सकता है की कांग्रेस यहां प्रत्याशी ही नहीं दे। क्योंकि पिछले चुनाव में जेएमएम और जद यू ने सरयू राय को अपना समर्थन दिया था ।
अब देखना है की सरयू राय की लड़ाई किस प्रत्याशी से होगी । एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का सामना सरयू राय को इस बार करना पड़ सकता है। उनके लिए भी इस बार राह आसान नहीं है । भाजपा को इस बार के लोकसभा चुनाव में यहां से एक लाख से ज्यादा का मार्जिन मिला था । यह मार्जिन विरोधी प्रत्याशी का मनोबल तोड़ने के लिए काफी है ।
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