शरद पूर्णिमा 2024 : पूजा विधि और चंद्र त्राटक का महत्व
सनातन परंपरा में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग शरद पूर्णिमा को एक विशेष रात्रि मानते हैं और इस रात्रि पर कई अनुष्ठान किए जाते हैं । हिंदू मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात एक औषधीय रात्रि है। इस दिन अगर हम दूध से बने हुए व्यंजन या दूध को चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं और फिर उसका सेवन करते हैं तो वह हमें औषधीय गुण देता है और हमारे शरीर को व्याधियों से दूर रखता है।
इसके साथ-साथ शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी का त्योहार माना जाता है और इस दिन कई राज्यों में लखी पूजा मनाई जाती है । वहीं कुछ लोग मनसा पूजा भी इसी दिन करते हैं.
शरद पूर्णिमा को चांद की रोशनी में किए गए अनुष्ठान हमेशा फलीभूत होते हैं । कहा जाता है अगर हम अपने जीवन में कोई ऐसी मनोकामना चाहते हैं जो बहुत दिनों से पूरी नहीं हो रही है तो चांदनी रात में शरद पूर्णिमा की रात बैठकर उस मनोवांछित वस्तु को विजुलाइज करते हैं और चांद को देखते हुए अपनी मनोकामना बोलते हैं और चंद्रमा का त्राटक करते हैं तो वह मनोकामना जरूर पूरी होती है.
चंद्र त्राटक: इस वर्ष शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को रात में 8:40 से लग रही है जो की 17 अक्टूबर की शाम को समाप्त होगी इसलिए जो लोग चंद्र त्राटक करना चाहते हैं वे चांदनी रात में 9:00 बजे के बाद बैठकर चंद्रमा का त्राटक कर सकते हैं। चंद्रमा का त्राटक करने के लिए हमें शुद्ध होकर एक शुद्ध आसन पर बैठकर चंद्रमा की ओर लगातार देखना होता है । इस दौरान हम जो भी मनोवांछित वस्तु होती है उसके बारे में मन में कल्पना करते हैं और चंद्रमा को देखते हुए यह विजुलाइज करते हैं कि वह वस्तु हमारे पास है और हमें प्राप्त हो चुकी है । चंद्रमा का त्राटक करने से हमारी आंखों की रोशनी की वृद्धि होती है, हमारा फोकस बढ़ता है और चांद की रोशनी हमारे मन में हो रही उथल-पुथल को शांत करती है।
मेडिटेशन में चंद्र त्राटक का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है । जो भी लोग अपने मन में अस्थाई विचारों से घिरे रहते हैं, ओवर थिंकिंग करते हैं या जो एक विचार पर स्थिर नहीं रह पाते हैं वे अगर चंद्र त्राटक करें तो धीरे-धीरे उनका मन शांत होने लगता है और उनके विचारों में स्थिरता आने लगती है।
चंद्रमा का त्राटक शरद पूर्णिमा के अलावा हम चांदनी रात में कभी भी कर सकते हैं।
कुछ लोग मेडिटेशन शुरू कर देते हैं परंतु उन्हें बहुत बेचैनी महसूस होती हैं । अगर आप बहुत ज्यादा बेचैनी महसूस कर रहे हैं तो आप मेडिटेशन ना करें क्योंकि जब आप बेचैन होंगे तो आप मेडिटेशन नहीं कर पाएंगे। अगर आप धीरे-धीरे अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं तो अच्छी बात है अगर नहीं कर पाते हैं तो अपने आसपास वातावरण में स्थित किसी भी संगीत पर, किसी भी आवाज परया किसी भी हलचल पर ध्यान एकाग्र कर सकते हैं । आप चंद्रमा को देख सकते हैं या किसी भी एक इच्छित वस्तु को जो आपके समक्ष है उसको देख सकते हैं । अगर ऐसा करने से भी आप बेचैनी महसूस करते हैं तो आप मेडिटेशन ना करें। अगर आप मेडिटेशन में अपने आप को अक्षम पाते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि आप वही करें ।आप इसके अतिरिक्त और भी उपाय कर सकते हैं जैसे योग या एक्सरसाइज।
शरद पूर्णिमा की पूजन विधि: शरद पूर्णिमा की रात को जो भी लोग पूजन करना चाहते हैं वह सबसे पहले शरद पूर्णिमा के दिन सुबह प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करना चाहते हैं तो व्रत करें अन्यथा शुद्धता पूर्वक पूरे दिन बिताकर शाम को पूजन करें।
एक लकड़ी या पत्थर की चौकी पर एक स्वच्छ वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और भगवान शंकर की प्रतिमा को स्थापित करें और उनकी प्रतिमा को दूध और गंगाजल से स्नान करवाएं। उसके बाद आपके पास उपलब्ध नैवेद्य आदि चढ़ाकर उनका भोग लगाएं और पान, सुपारी, नारियल जो कुछ भी आपके पास पूजा सामग्री उपलब्ध है वह भगवान को अर्पित करें और भगवान के समक्ष अपनी मनोकामना बोले। इसके साथ-साथ आप भगवान शंकर की स्तुति कर सकते हैं।
इसके बाद माता लक्ष्मी के बीज मंत्र ओम महालक्ष्मी नमः का जाप कर सकते हैं और भगवान विष्णु के मंत्र का जाप कर सकते हैं । आज के दिन आप अपने इष्ट देव या आप जिस भी ईश्वर को मानते हैं उनकी आराधना करके अपनी मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मां लक्ष्मी को एक चांदी के बर्तन में या अगर चांदी का बर्तन उपलब्ध नहीं है तो किसी भी अन्य बर्तन में खीर का भोग लगाएं और खीर बनाकर चांदनी रात में बाहर रखें जहां चांद की रोशनी सीधी पड़ती हो । अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो आप ऐसी जगह पर खीर रख सकते हैं जहां पर चांद की रोशनी आती हो। कम से कम 1 से 2 घंटे तक चांद की रोशनी में खीर रखने के उपरांत इसे अपने परिवारजनों के साथ बैठकर खाएं और जो भी आपके अन्य साथी है या अन्य लोग परिवार में रहते हैं उन्हें प्रसाद के रूप में वितरण करें ।
माना जाता है यह खीर अमृत तुल्य हो जाती है और इसका सेवन करने से हमारे शरीर में जो भी रोग होते हैं वह धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
आप सभी को शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं ।।
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