Lifestyle

नवरात्रि तीसरा दिन : माँ चंद्रघंटा की पूजा में ध्यान रखें ये बातें

नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है। मां चंद्रघंटा मां पार्वती का ही एक ऐसा रूप है जो क्षमा में विश्वास रखती हैं। माना जाता है की मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को जो भी पाप करते हैं उन्हें माफ कर देती हैं। मां चंद्रघंटा के मुकुट पर घंटे के आकार वाला चंद्र सुशोभित होता है, इसलिए उन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है । वे सिंहनी पर सवार होती हैं और स्त्री के सौम्य और शक्तिशाली स्वरूप का प्रतीक हैं। माँ चंद्रघंटा की तीसरी आँख हमेशा खुली रहती है जिसका अर्थ है कि हमेशा अपनी तीसरी आँख अर्थात जो सामान्य नज़रों से नहीं दिख रहा है हमें उसे भी देखना चाहिए। अपनी इंद्रियों और भावनाओं को इतना संवेदनशील बनाओ कि आपके आसपास होने वाला हर स्पंदन आपंकों समझ में आयें। कहा जाता है न कि नज़र वह जो हँसते चेहरे की उदासी पकड़ ले। मा
मां चंद्रघंटा अपने हाथों में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र धारण किए रहने के साथ-साथ एक हाथ में कमल धारण किए रहती हैं जिससे वे समाज में रहकर भी सामाजिक बुराइयों से दूर रहने का संदेश देती हैं । कमल की तरह कीचड़ में रह कर भी अपने आप को कीचड़ से दूर रखने की सीख देती है।

create an image of ma chandrghantan which has a bell

पूजा की विधि: किसी भी विशेष धर्म ग्रंथ में यू तो देवी देवताओं की आराधना की विधि नहीं लिखी है परंतु साधु ,संत महात्माओं ने उनकी सही विधि का व्याख्यान किया है और अपने गुरुओं और महान संतों के द्वारा बताई गई विधि के द्वारा मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है।मां चंद्रघंटा को भोग में सफेद खीर,पेड़ा, बर्फ़ी इत्यादि सफेद मिठाइयां फल का भोग लगाया जाता है । और माँ को सुनहरे वस्त्र पहनाए जाते हैं।
मां चंद्रघंटा शांत स्वरूप में अपने भक्तों को यह संदेश देती हैं कि हमें इस आपा धापी भरे जीवन में बुराइयों से दूर रहते हुए अपने समय को भगवत भजन में समर्पित करना चाहिए और अपने मन को शांत और स्थिर रखते हुए तनाव से दूर रहना चाहिए।
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है और इन नौ रूपों में मां दुर्गा अपने भक्तों को अलग-अलग रूप में आकर अलग-अलग संदेश देती है।
आज के दिन महिलाएं मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने के लिए और दुर्गा उत्सव मनाने के लिए सुनहरे वस्त्र धारण कर सकती हैं और अपने आप को भीड़ से अलग रखते हुए सौम्य रूप में रूप मे आकर आकर्षण का केंद्र बन सकती हैं।
मां चंद्र घंटा का मंत्र:

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ या देवी सर्वभू‍तेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Share this :

Discover more from The Khabar Daily

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from The Khabar Daily

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading