जमशेदपुर: अयोध्या नगरी आज शोकाकुल है। श्रीराम की नगरी के इतिहास और संस्कृति के जीवंत प्रतीक, राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र अब हमारे बीच नहीं रहे।
23 अगस्त 2025 की रात 11 बजे राजसदन आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से न केवल अयोध्या के राजपरिवार का एक गौरवशाली अध्याय समाप्त हुआ, बल्कि संपूर्ण अयोध्या ने अपने सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षक को खो दिया है।
वे अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के अग्रदूत रहे। रामायण मेला संरक्षक समिति में उनकी सक्रिय भूमिका और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में बतौर ट्रस्टी उनकी नियुक्ति ने उन्हें मंदिर निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा का साक्षी बना दिया। उन्होंने गर्व से कहा था कि उन्हें विश्वास नहीं था कि रामलला का मंदिर उनके जीवनकाल में बनेगा, परंतु यह दिव्य स्वप्न उनकी आंखों के सामने साकार हुआ।
2009 में वे राजनीति में भी सक्रिय हुए और फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। यद्यपि राजनीति में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन वे सदैव समाजसेवा और धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित रहे।
उनका व्यक्तित्व संयम, सरलता और संस्कृति के प्रति गहरी निष्ठा का प्रतीक था। अयोध्या की जनता उन्हें केवल एक राजा के रूप में नहीं, बल्कि एक संरक्षक, मार्गदर्शक और बड़े भाई की तरह देखती थी।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े रहे विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का निधन
