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शिबू सोरेन एक दूरदर्शी और जननायक के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे

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जमशेदपुर: आज देश , झारखंड और आदिवासी समाज के लिए शिबू सोरेन का हम सभी को छोड़कर स्वर्गवासी होना बहुत ही अपूरणीय क्षति है । इसकी भरपाई आने वाले अनेकों सालों तक नहीं हो सकती है । शिबू सोरेन एक दूरदर्शी और जननेता के साथ साथ आदिवासी समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे ।

नेमरा जैसे छोटे से गांव से निकलकर राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाने वाले शिबू सोरेन झारखंड की जनता के लिए दीशोंम गुरु थे । अपनी राजनीति की शुरूआत ही उन्होंने सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन करके की थी । झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन से पूर्व शिबू सोरेन जंगलों में छिप कर आंदोलन चलाया करते थे जिसमें आदिवासी समाज को सूदखोरों से मुक्ति ही उनका मुख्य ध्येय था । जल, जंगल और जमीन से ही उनकी पहचान झारखंड के गांव गांव में बनी थी । उनकी सादगी और आदिवासी समाज के प्रति समर्पण ने उन्हें एक जननेता बना दिया था ।

शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे लेकिन एक भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे । उन्होंने कई बार दुमका लोकसभा से जनता का प्रतिनिधित्व भी किया था और राज्य सभा के लिए भी चुने गए थे । मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान वे केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे ।

शिबू सोरेन ने जो अलग झारखंड राज्य का सपना देखा देखा था वह तो पूरा जरूर हुआ लेकिन उनके मन में एक दर्द हमेशा था । वे आदिवासी समाज का संपूर्ण उत्थान और विकास देखना चाहते थे । आशा है कि झारखंड की अगली पीढ़ी उनके सपनों को पूरा कर सकेगी ।

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