प्रशांत किशोर खेलेंगे या खेल खराब करेंगे
जमशेदपुर: बिहार में चुनावी बिसात बिछने लगी है । नवंबर में बिहार चुनाव होना है और सभी पार्टियां उसकी तैयारी में जुटी है । इस चुनाव में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी पहली बार चुनाव लड़ेगी । प्रशांत किशोर देश के जाने माने चुनावी रणनीतिकार रहे है । अब देखना है कि वे बिहार चुनाव में अपनी पार्टी की नैया कैसे पार लगाते है । कांग्रेस, राजद, वाम दल और साहनी की पार्टी मिलकर चुनावी मैदान में उतरेगी इसकी संभावना है । हालांकि कांग्रेस के रवैए से तेजस्वी यादव नाराज बताए जा रहे है । कांग्रेस बिहार में इस बार अधिक सीट की मांग कर रही है । लालू यादव का मानना है कि बिहार में कांग्रेस से मजबूत वामदल है । अब जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएंगे तस्वीर साफ होती जाएगी ।
दूसरी तरफ NDA के घटक दल भाजपा, जद यू, जितेन राम मांझी और चिराग पासवान की पार्टी साथ में चुनाव लड़ने वाली है । हालांकि चिराग पासवान पिछले चुनाव की तरह से इस बार भी अधिक सीटों के लिए दबाव बना रहे है । मांझी भी अधिक सीटें चाहते है ताकि उनकी पार्टी को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल सके । भाजपा हर बार की तरह ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा पहले की कर चुकी है । बिहार में अभी तक दो ही ध्रुव हुआ करते थे एनडीए और इंडिया गठबंधन लेकिन इस बार इन दोनों का खेल खराब करने के लिए प्रशांत किशोर की पार्टी मैदान में है । प्रशांत किशोर पिछले कुछ वर्षों से बिहार में पैदल गांव गांव की खाक छानते रहे है । आम जनता और न्यूट्रल युवाओं में प्रशांत किशोर के अंदर एक उम्मीद दिखाई पड़ती है । प्रशांत किशोर जनता के साथ सीधी बात करते है और बिहार में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर ही सिर्फ बात करते है । जनसुराज की सक्रियता ने भाजपा और राजद दोनों को परेशानी में डाल दिया है । भाजपा को प्रशांत किशोर से ज्यादा नुकसान दिख दिख रहा है । स्वर्ण समाज का आंशिक वोट भी अगर प्रशांत किशोर के साथ बंट जाता है तो भाजपा को ही नुकसान होगा । भाजपा किसी भी कीमत पर प्रशांत किशोर को हल्के में नहीं लेगी ।
बिहार में मुस्लिम और यादव वोटों पर राजद का कब्जा पिछले 30 वर्षों से रहा है । लेकिन सीमांचल के क्षेत्रों में ओवैसी की पार्टी ने पिछली बार राजद की सीटों में सेंधमारी की थी । प्रशांत किशोर किसी भी दल के साथ गठबंधन करके चुनाव नहीं लड़ेंगे । जनसुराज के बैनर तले बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का वे दावा कर रहे है । विधानसभा चुनाव में हार जीत का मार्जिन ज्यादा नहीं होता है । ऐसे में 500 वोटों का अंतर भी किसी भी प्रत्याशी को हरा या जीता सकता है । अब देखना है कि प्रशांत किशोर राजनीति की ग्राउंड में खेलेंगे या खेल बिगाड़ेंगे।
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