झारखंड की राजनीति में कब कौन नेता कहां पलटी मार दे कोई नहीं जानता है । बहरागोड़ा विधानसभा के पूर्व विधायक कुणाल सारंगी की राजनीतिक गाड़ी भी हिचकोले खाते हुए अपने पुराने घर यानी जेएमएम की तरफ जाती दिख रही है ।
कुणाल सारंगी ने अपनी राजनीतिक यात्रा जेएमएम से शुरू की थी और बहरागोड़ा से विधायक जेएमएम के टिकट पर ही बने थे । जेएमएम से मोहभंग हुआ तो भाजपा ज्वाइन किए लेकिन वहां भी पांच साल रहने के बाद पार्टी से लोकसभा का टिकट नहीं मिलने से उनकी नाराजगी बढ़ गई । भाजपा में तमाम बड़े नेता युवा कुणाल की लोकप्रियता को पचा नहीं पा रहे थे और उन्हें हाशिए पर रखा जा रहा था । कुणाल सारंगी पिछले पांच साल से लोकसभा की तैयारी में जुटे थे लेकिन पार्टी ने तीसरी बार विद्युत वरण महतो को टिकट देकर उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया ।
जमशेदपुर की राजनीति में जिस तेजी से उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी थी उससे अनेक भाजपा के बड़े नेता सकते में थे । बहरागोड़ा की राजनीति में उनके राह में दो कांटे थे और दोनों कुणाल के घोर विरोधी रहे है जिसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी और सांसद विद्युत वरण महतो का नाम शामिल है । लोकसभा चुनाव के समय कुणाल सारंगी को जैसे किनारे लगाया गया था उससे यह लगने लगा था विधानसभा में भी भाजपा के पुराने नेता उन्हें बहरागोड़ा से टिकट लेने नहीं देंगे । कुणाल यह समझ चुके थे और अंतः उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र देना ही बेहतर समझा ।
हालांकि अभी उन्होंने कोई राजनीतिक पार्टी ज्वाइन नहीं की है लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मुख्यमंत्री मईयां सम्मान योजना का बचाव किया और हेमंत सोरेन की तारीफ की उससे यह स्पष्ट संदेश मिलता है कि बहुत जल्द वे तीर धनुष के सिपाही बनने वाले है । अभी बहरागोड़ा विधानसभा में कुणाल सारंगी की सक्रियता अन्य नेताओं की तुलना में अधिक है । वर्तमान विधायक समीर मोहंती भी समझ रहे है कि जेएमएम से उन्हें इस बार टिकट नहीं मिलेगा क्योंकि क्षेत्र में उनके प्रति नकरात्मक माहौल है। हेमंत सोरेन से कुणाल सारंगी की नजदीकियां रही है और वे कई अवसरों पर हेमंत सोरेन की तारीफ कर चुके है । वर्तमान स्तिथि में हेमंत सोरेन को भी एक तेजतर्रार युवा नेता की जरूरत कोल्हान में है जो जेएमएम को सामान्य वर्ग तक पहुंचा सके । अब देखना है कि कुणाल सारंगी कब तीर धनुष उठाकर विरोधियों पर वार करेंगे ।