News

झारखंड में शराब दुकानें कही महिलाओं के लिए मुसीबत न बन जाएं

जमशेदपुर: झारखंड सरकार के द्वारा सितंबर माह से नई शराब नीति के तहत निजी हाथों में शराब की बिक्री थमा दी गई है । इसके पूर्व में सरकार स्वयं शराब बेचा करती थी । इस बार बड़े पैमाने पर प्रखंडों में शराब दुकानों का आवंटन हुआ है । एक प्रखंड में अनुपात से ज्यादा शराब दुकानें खुल गई है । ग्रामीण क्षेत्रों में इससे महिलाएं चिंतित है और दुखी भी है क्योंकि इससे शराब पीने वाले की न सिर्फ संख्या बढ़ेगी बल्कि महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाओं में भी इजाफा होगा । महिलाएं इसका विरोध भी कर रही है लेकिन इसका कोई असर सरकार पर नहीं पड़ रहा है । इसके पूछे सबसे बड़ा करना है कि सरकार को इस बार करोड़ों रुपया राजस्व से प्राप्त होगा । लोककल्याणकारी राज्यों में सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे जनता के हितों की रक्षा करे । राज्य में जहां महिलाओं के उत्थान के लिए मईया सम्मान योजना चल रही है और वहीं अगर दूसरी ओर अगर गांव गांव में शराब की बिक्री होगी तो इससे सामाजिक और पारिवारिक विकास अवरुद्ध होगा ।

सरकार ने इस बार जो शराब दुकानों का आवंटन किया है वह आवासीय क्षेत्रों में भी किया है । इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम महिलाओं और बच्चों के ऊपर होगा । आज कल सभी शराब दुकानों के सामने ही लोग खड़े होकर शराब पीते है और अड्डेबाजी करते है । इस तरह के माहौल में कैसे महिलाएं और बच्चे सुरक्षित रह सकते है । क्या सरकार की नैतिक जिम्मेदारी नहीं है कि वह इस शराब नीति में सुधार करते हुए शराब दुकानों का आवंटन आवासीय क्षेत्रों से दूर करे । शराब से जो राजस्व प्राप्त होता है वह सरकारें कल्याणकारी कार्यों में लगाती है लेकिन अगर राज्य में महिलाएं और बच्चे ही अगर इससे प्रभावित होंगे तो कल्याण की बात बेमानी नजर आएगी ।

Share this :

Discover more from The Khabar Daily

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from The Khabar Daily

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading