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झारखंड में भाजपा को नहीं मिल रहा है प्रदेश अध्यक्ष

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जमशेदपुर: झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति लंबे से लंबित है । पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भाजपा ने लंबे समय बाद विधानसभा विधायक दल का नेता नियुक्त किया था ।  इसके बाद माना जा रहा था पार्टी जल्दी ही अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा करेगी । अब दावेदार भी इंतजार करते करते थक गए है लेकिन पार्टी ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले है । विधायक दल का नेता आदिवासी को बनाने के बाद यह माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी गैर आदिवासी नेता को मिलेगा । रघुवर दास ने जब उड़ीसा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया था तो यह लगने लगा था कि शायद पार्टी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने जा रही है । रघुवर दास को भी इसका पूरा यकीन था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 

अब समस्या यह है कि झारखंड में पार्टी के पास पूर्व चार मुख्यमंत्री अभी है जिनका इस्तेमाल भाजपा को करना है । अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा, रघुवर दास और चंपई सोरेन ये चार नाम है जो पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके है और अभी सभी भाजपा में है । पार्टी ने बाबूलाल मरांडी को पद दे दिया है लेकिन बाकी पूर्व मुख्यमंत्रियों को संगठन में जगह देना एक साथ आसान नहीं है । भाजपा अगर किसी गैर आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो रघुवर दास का पलड़ा भारी रहेगा । उनके पास पहले से प्रदेश अध्यक्ष के पद का अनुभव भी है और वे ओबीसी समुदाय से आते है जो भाजपा का एक बड़ा वोट बैंक है ।

भाजपा का दिल्ली का नेतृत्व दरअसल इस बार अपने अनुसार अध्यक्ष पद पर ऐसे नेता को बैठना चाहता है जो पार्टी को 2029 के विधानसभा चुनावों में लाभ दिला सके । इस बार पार्टी की बड़ी बुरी तरह हार हुई जिससे भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चिंतित है । 28 आदिवासी सीटों में से भाजपा को सिर्फ एक सीट चंपई सोरेन की मिली और इस जीत में चंपई सोरेन का अपना योगदान ज्यादा रहा । भाजपा आदिवासी समाज के बीच अपना जानदार खो चुकी है और झारखंड में ओबीसी समाज के भरोसे ही है । पार्टी को एक ऐसे नेता की तलाश है जो गैर आदिवासी के साथ साथ आदिवासी सीटों को भी जितने में पार्टी के लिए भूमिका निभा सके ।

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