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नेता जी कल आए थे

दारू बंट रही गांव गांव में

नेता जी कल आए थे,

टैंकर भरकर भेजा घर घर

मुर्गा – भात खिलाए थे।

एक वोट के बदले भैया

पकड़ाए थे सौ का नोट

चुप रहना बस पांच साल तक

करवाए थे इसका बोध।

जनता जब चुप रहती है

तो होता रहता सतत विकास

अर्थव्यवस्था ऊपर उठती

घट जाता है घर में भात।

बिना दवाई बिना इलाज

मुर्दे बढ़ते जाते हैं।

रोजगार की बात न पूछो

बच्चे फांके खाते हैं।

आम आदमी घिसट रहा है

नेता उड़ता रहता है,

पांच साल तक गायब रहता

फिर न मुंह दिखलाता है।

दारू के बदले में जो सब

वोट बेचकर बैठे हैं,

लोकतंत्र की सुंदरता पर

काला धब्बा बनते हैं।

अपर्णा बाजपेई

जमशेदपुर, झारखंड

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