जमशेदपुर: बिहार में कांग्रेस और राजद गठबंधन का चुनावी यात्रा आज समाप्त हो गया । राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ वाम दलों ने भी इस यात्रा में भाग लिया । बिहार में कांग्रेस राजद की पिछलग्गू पार्टी है और उसका अपना कोई जनाधार नहीं है । जब लालू यादव स्वस्थ थे और राजनीतिक रूप से सक्रिय थे तब कांग्रेस को उसकी औकात के अनुसार ही सीट देते थे । इस यात्रा में लालू यादव नहीं थे बल्कि उनके पुत्र तेजस्वी यादव थे । वैसे तो यह चुनावी यात्रा इंडिया गठबंधन के लिए संयुक्त रूप से आयोजित थी लेकिन सारा श्रेय राहुल गांधी अपने ले गए । पूरी यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव एक छाया की तरह नजर आए जबकि पूरी भीड़ राजद के समर्थकों की थी ।
कांग्रेस पार्टी अपने बल पर बिहार में पांच सौ लोगों की भीड़ भी इक्कठा नहीं कर सकती है । इस यात्रा के दौरान जो भी जनता नजर आई वे लालू यादव के समर्थक ही है । इसके बावजूद तेजस्वी यादव को जो लाभ होना था वह इस यात्रा से वह नहीं होता दिख रहा है । राहुल गांधी अपने एजेंडे वोट चोरी के मुद्दे को हवा दे रहे थे जबकि बिहार में मुद्दा बेरोजगारी, स्वास्थ्य, पलायन आदि है । जनता वोट चोरी के मुद्दे पर बिहार में वोट नहीं करेगी क्योंकि जनता को मालूम है कि देश में वोट चोरी नहीं होता है । दरअसल राहुल गांधी की आदत हो गई है वे बिना तथ्यों के सालों तक एक ही मुद्दे पर हल्ला करते है और फिर कोर्ट में माफी मांग लेते है ।
राजद को जो चुनावी फायदा इस यात्रा से होना चाहिए था वह होता नहीं दिख रहा है । इसके उलट कांग्रेसी जरूर उत्साहित है और उन्हें लग रहा है कि कांग्रेस अब बिहार में ज्यादा सीटों के लिए दबाव बना सकती है । प्रधानमंत्री के मां को गाली देने वाले प्रकरण से तेजस्वी यादव भी असमंजस्य में है और उन्हें लग रहा है कि राहुल गांधी चाहते तो खेद प्रकट करके मामला खत्म कर सकते थे । इस घटना से राजद को ज्यादा नुकसान दिख रहा है क्योंकि वोटों का ध्रुवीकरण होने की संभावना ज्यादा है । भाजपा और जद यू ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले है । नीतीश कुमार ने ताबड़तोड़ घोषणाएं करके यह संदेश जरूर दे दिया है कि आगामी पारी खेलने के लिए वे तैयार है ।