जमशेदपुर: बिहार में दो महीने के अंदर ही चुनाव होने वाले है और इसकी तैयारी में भाजपा और नीतीश कुमार की पार्टी जुट गई है । बिहार चुनाव इस बार नीतीश कुमार के लिए परीक्षा की घड़ी है । हालांकि पिछले एक महीने में नीतीश सरकार ने महिलाओं को साधने के लिए कई योजनाएं शुरू की है । इसका सीधा फायदा महिलाओं को होगा और नीतीश कुमार जानते है कि महिलाओं को खुश करके वे फिर से सत्ता में वापसी कर सकते है । भाजपा के नेता भी चुनावी तैयारी में सक्रिय है लेकिन बिहार में उनके पास कोई दमदार चेहरा नहीं है । दूसरी तरफ सत्ता से उपजी नाराजगी को भांपते हुए संघ ने अपने स्वयं सेवकों की टोली को बिहार में सक्रिय कर दिया है । संघ के 15000 हजार से भी ज्यादा स्वयं सेवक बिहार के अलग अलग जिले के गांवों में लोगों से मिलकर बात कर रहे है । वे जनता के साथ लगातार संवाद बना रहे है और राष्ट्रवाद से होने वाले फायदों पर चर्चा कर रहे है । केंद्र की मोदी सरकार गरीबों के लिए जो योजनाएं चला रही है उससे किस तरह के सुधार हो रहे है इससे जनता को अवगत भी करा रहे है ।
दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में संघ ने भाजपा को सबक सिखाने के उद्देश्य से अपनी टीम को पूरी तरह से सक्रिय नहीं किया था । जिसका नतीजा था कि भाजपा 240 सीटों तक ही सिमट के रह गई थी । इसके बाद भाजपा ने अपनी गलती स्वीकारी और संघ ने भी उसे हरियाणा चुनाव जिताने में मदद की । भाजपा की चुनावी जीत संघ के मदद के बिना अधूरी है । संघ को मालूम है कि भाजपा भले ही बड़े बड़े जनसभाओं का आयोजन कर ले लेकिन जमीन पर उनके स्वयं सेवक ही असली काम करेंगे । बिहार में ऐसा होने भी लगा है और संघ के कार्यकर्त्ता न सिर्फ दिन में बल्कि रात में भी जनता के साथ छोटे समूहों में बात चित करके माहौल भाजपा के पक्ष में बना रहे है । नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में क्या क्या बदलाव के लिए कार्य किए है उसपर चर्चा करके लोगों को फिर से भाजपा और जद यू के पक्ष में वोटिंग करवाने का कार्य बखूबी होने लगा है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के सभी बड़े नेताओं को भी मालूम है कि बिना संघ के समर्थन से बिहार चुनाव जितना मुश्किल होगा । भाजपा के नेता भी संघ के साथ समन्वय बनाकर काम कर रहे है । संघ चूंकि अपने काम को प्रचारित नहीं करता है और राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर चलता है इसलिए स्वयं सेवकों के कार्य की चर्चा आमतौर पर नहीं होती है ।