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भाजपा बागबेड़ा मण्डल में गुटबाजी चरम पर

Image of Santosh singh,

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जमशेदपुर भाजपा के अंतर्गत आने वाले मंडलों में बागबेड़ा मंडल अपनी गुटबाजी के लिए जाना जाता है । पूर्व में यह मंडल का क्षेत्रफल काफी बड़ा था और इसे बागबेड़ा_सुंदरनगर मंडल नाम दिया गया था । वर्ष 1999 में बागबेड़ा और सुंदरनगर मंडल को अलग-अलग कर दिया गया । इसके कुछ वर्षों बाद पुनः इसका विघटन करके घाघीडीह मंडल अलग से बनाया गया । पिछले 10 वर्षो से बागबेड़ा मण्डल अपनी गुटबाजी के लिए जिले में प्रसिद्ध रहा है । आज आलम यह है की इस मंडल में सभी लोग नेता है और कार्यकर्त्ता कोई बचा नहीं है ।
जिले में यह मंडल अपनी उद्दंडता के लिए भी जाना जाता रहा है । गुटबाजी की स्तिथि यह है की पांच से सात गुटों से मंडल अध्यक्ष के दावेदार सक्रिय है ।

बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी पहले भाजपा का गढ़ होता था लेकिन जब गुटबाजी बढ़ने लगी तो पुराने समर्पित कार्यकर्त्ता धीरे धीरे किनारे लगा दिए गए । अब हाउसिंग कॉलोनी में पार्टी के पास नाम मात्र के कार्यकर्त्ता बचे है । मंडल स्तरीय कोई कार्यक्रम करने के लिए अब बस्तियों के लेसनर को बोलकर भीड़ इकट्ठा करनी पड़ती है । बस्तियों के नेता के भी पिच्छलगु और लगुआ- बबुआ है जो गाहे- बगाहे चुनाव में सक्रिय हो जाते है लेकिन उसके बाद फिर शिथिल पड़ जाते है ।

कुछ ही महीनों में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले है और पोटका विधानसभा के अंतर्गत आने वाले बागबेड़ा मण्डल कि हालत खस्ताहाल है । भाजपा को इसी मण्डल से बढ़त कि उम्मीद रहती है लेकिन आपसी गुटबाजी के कारण यह मण्डल पार्टी कि उम्मीदों पर पर पानी फेर सकता है । जिले में इस मण्डल कि स्तिथि काफी कमजोर है और इसे ज्यादा तरहीज नहीं दी जाती है । इस मण्डल से किसी भी नेता को जिले में कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिलता है क्योंकि इसके मण्डल अध्यक्षों का प्रभाव जिले में न के बराबर है ।

अभी जिले से मण्डल अध्यक्ष को बदला जाना है और इसी कड़ी में बागबेड़ा से विमलेश उपाध्याय, धनंजय उपाध्याय, संतोष सिंह, अश्वनी तिवारी, गणेश विश्वकर्मा, रमेश सिंह और भी कई दावेदार सक्रिय दावेदारी कर रहे है । अब गेंद जिले के पास है की किसे अध्यक्ष बनाया जाता है । नए अध्यक्ष के पास भी मण्डल चलाने कि चुनौती होगी क्यूंकी गुटबाजी को कम करने के उपाय खोजने होंगे ।

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