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सिंहभूम में सिविल सोसाइटी आर्गेनाइजेशन चुनाव को प्रभावित करने के लिए जनमत संग्रह करती है

झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी चुनाव आयोग द्वारा की जा सकती है । झारखंड की सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी कार्य में जुट गई है । राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्त्ता पूरी तरह से मुस्तैद है और विरोधियों को पछाड़ने की रणनीति बना रहे है ।

जहां एक और राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारी में है वहीं कोल्हान के सिंहभूम क्षेत्र के विधानसभा में एक और तैयारी हो रही है । एक मोर्चा सिंहभूम में मिशन संस्थान, मिशन स्कूलों के पदाधिकारियों और सिविल सोसाइटी आर्गेनाइजेशन (CSO) के कार्यकर्त्ता भी संभाले हुए दिख रहे है । मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सिंहभूम और खूंटी लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को हराने में मिशन संस्थान और सिविल सोसाइटी आर्गेनाइजेशन की बड़ी भूमिका देखने को मिली थी । मिशन संस्थान और सिविल सोसाइटी आर्गेनाइजेशन के कार्यकर्त्ता ज्यादातर वाम और कांग्रेस के विचारधारा के पोषणकर्त्ता है । जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है तब से ग्रामीण क्षेत्र में कार्यकर्त्ता के माध्यम से ये संस्थान मोदी सरकार के खिलाफ जनमत संग्रह तैयार करती है । कार्यकर्त्ताओं का अभिमुखीकरण करके उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ तैयार किया जाता है । समुदाय को प्रेरित किया जाता है कि वे भाजपा के खिलाफ वोटिंग करे

भारत में लोकतंत्र सबसे मजबूत है और हजारों बार विदेशी एजेंसियों के बहकावे के बाद भी मजबूती से देश आगे बढ़ रहा है । झारखंड के आदिवासी बहुत ही सरल और ईमानदार है और इसी का फायदा कई संस्थान और एजेंसियां चुनाव में उठाती है । इस बार के लोकसभा के चुनाव में कई स्थानों पर देखा गया कि सिंहभूम क्षेत्र में मिशन स्कूल की गाड़ी से मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक पहुंचा गया था और एक विशेष पार्टी के प्रत्याशी को वोट देने के लिए प्रेरित किया जा रहा था ।  भारत सरकार के खिलाफ और खासकर मोदी सरकार को टारगेट करने का काम सिंहभूम क्षेत्र में सिविल सोसाइटी और मिशन संस्थान बखूबी कर रहे है ।

अभी विधानसभा चुनाव होने वाले है और भाजपा को हर हाल में हराने के लिए सिविल सोसाइटी आर्गेनाइजेशन के कार्यकर्त्ता सिंहभूम में न सिर्फ सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी में है बल्कि लोगों को गुमराह भी किया जाएगा । पिछले लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को यह बोलकर गुमराह किया गया था कि भाजपा के आने से आदिवासी आरक्षण खत्म कर दिया जायेगा । इसका दूरगामी परिणाम हुआ और भाजपा सभी आदिवासी सीटें झारखंड में हार गई ।

केंद्रीय एजेंसियों खासकर आईबी और गृह मंत्रालय को इस बार झारखंड के सिंहभूम और खूंटी क्षेत्र में विशेष निगाह रखने की जरूरत है । चुनाव राजनीतिक दल लड़ते है और उनका यह काम भी है , क्योंकि चुनाव में जाना और जनता को एक विकल्प देना उनका उद्देश्य है । लेकिन एक तीसरी शक्ति सिविल सोसाइटी आर्गेनाइजेशन और मिशन संस्थान भी अप्रत्यक्ष चुनाव लड़ती है और किसी खास एजेंडे के तहत काम करती है जिस पर लगाम लगाना बहुत जरूरी है । केंद्रीय एजेंसियों द्वारा इनके आर्थिक श्रोतों की जांच और फंड के उपयोग की समीक्षा बहुत जरूरी है ।

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