आजकल लोगों मे लगातार हेडफ़ोन के उपयोग से सुनने की क्षमता प्रभवित हो रही है क्योंकि वे हेडफोन का इस्तेमाल सही तरीके से करना नहीं जानते। हमारे देश में जो कुछ भी मर्केट में आता है हम बिना उसके सही उपयोग को जाने उसका इस्तेमाल करने लगते हैं। जो कि हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पंहुचाता है । छोटे छोटे बच्चे भी लंबे समय तक हेडफोन लगाकर गेम खेलते रहते हैं और उन्हे समझ में नहीं आता कि आवाज कितनी रखनी चाहिए। आइये जानते हैं सुनने की क्षमता में गिरावट क्यों हो रही हैं?
तेज आवाज में सुनना : हेडफ़ोन से उच्च ध्वनि स्तर पर संगीत सुनने से कान के नाजुक तंतु (कोच्लिया) को नुकसान हो सकता है।
लंबे समय तक उपयोग: लगातार लंबे समय तक हेडफ़ोन का उपयोग करने से कान पर दबाव बढ़ता है, जिससे सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
इन-ईयर हेडफ़ोन: इन-ईयर हेडफ़ोन कान के अंदर जाकर ध्वनि को सीधे कान के पर्दे तक पहुंचाते हैं, जिससे ध्वनि की तीव्रता और अधिक हो जाती है और सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।
ध्वनि प्रदूषण: हेडफ़ोन के उपयोग से बाहरी ध्वनि को रोका जाता है, जिससे कान के तंतु को सामान्य रूप से काम करने में कठिनाई होती है और इससे ध्वनि का सही अनुभव करने की क्षमता कम हो जाती है।
रिपीटेड उपयोग: नियमित रूप से उच्च ध्वनि स्तर पर हेडफ़ोन का उपयोग करने से कान की सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है।
इन कारणों से हेडफ़ोन का अत्यधिक उपयोग युवाओं में सुनने की समस्याओं को जन्म दे रहा है।