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सस्ते स्नैक्स कितने खतरनाक

Low Cast Snacks

आज हर गली मोहल्ले में बच्चों के लिए सस्ते स्नैक्स छोटी- छोटी दुकानों पर उपलब्ध रहते हैं। 5-10 रुपए के पैकेट में छोटे-छोटे  सस्ते स्नेक्स, केक, चॉकलेट ,जेली कितने प्रकार के अन्य सामान बहुत ही आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। यह स्नैक्स बच्चे बहुत पसंद करते हैं।

 इन्हें खाने के बाद उन्हें ऐसा महसूस होता है कि उनका पेट भर गया और भूख नहीं लग रही । वास्तव में इन खाद्य पदार्थों में मिलें केमिकल्स बच्चों के मस्तिष्क को इस प्रकार का सिग्नल देते हैं कि उन्हें पेट भरा होने का एहसास होता है । जिसके कारण बच्चे घर का बना स्वास्थ्यप्रद खाना नहीं खाते या बहुत कम मात्र में खाते है । यह बच्चों में पोषण की कमी की एक बड़ी वजह बनता जा रहा है। बच्चों में उम्र के अनुसार कम वजन, उम्र के अनुपात में कम लंबाई और कुपोषण का एक बड़ा कारण है खासकर गांवों और कस्बों में। NFHS3 के आंकड़ों के अनुसार भारत के गांवों में लगभग 57 मिलियन बच्चे (6 माह से 5 साल तक के बच्चे ) कुपोषित पाए गए थे। जहां बच्चों को 5-10 रुपये आसानी से मिल जाते हैं और उन्हें खर्च करने के लिए वे सीधे छोटी छोटी दुकानों की ओर दौड़ लगाते हैं। या काम से लौटने पर माता पिता अपने बच्चों के लिए इसी प्रकार के स्नैक्स खरीद कर लाते हैं जो उनके बच्चों को बहुत पसंद होते हैं।

ज्यादातर माता – पिता (Parents) इन पैकेट के पीछे लिखे हुए इंग्रेडिएंट्स के बारे में न तो पढ़ते हैं और न ही उसमें लिखे हुए भारी भरकम शब्दों का अर्थ समझते हैं । जब उन्हें पता ही नहीं है कि इसमें जो दिया गया है या जो भी इसमें उपलब्ध है वह उनके बच्चों के लिए कितना खतरनाक है तो वे  अपने बच्चों को कैसे मना करेंगे।बच्चे भी अपनी जिद में इस तरह के सामान खरीदने के लिए ललित रहते हैं और माता-पिता पर  इन्हें खरीदने का दबाव डालते हैं।

सवाल यह है कि इस तरीके के स्नैक्स का  इतनी आसानी से उपलब्ध होना क्या बच्चों के लिए अच्छा है । आखिर इन्हें खाने के लिए बच्चों को कैसे मना किया जाए।  कम से कम पैकेट के पीछे जो कुछ भी इंग्रेडिएंट्स लिखे रहते हैं वह हिंदी भाषा में या स्थानीय भाषा में लिखे होने चाहिए ताकि लोग यह समझ सकें कि उनके बच्चे क्या खा रहे हैँ।  अंग्रेजी भाषा तक पहुंच अधिकांश भारतीय आम लोगों की नहीं है और वे English में लिखी जानकारी को नहीं समझते। इसलिए पैकेट के पीछे लिखी हुई जानकारी स्थानीय भाषा में और हिंदी भाषा में होना चाहिए।

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